Monday, October 19, 2015

घर में बेघर उइघर

चीन में हान उसी तरह बहुसंख्यक हैं जैसे भारत में हिन्दू. चीन की कुल आबादी के नब्बे फीसदी हान चाइनीज हैं. देश के हर प्रांत में हान चाइनीज का बोलबाला है. देश के कम्युनिस्ट शासन में यही हान चाइनीज देश पर शासन करते हैं. लेकिन चीन का एक प्रांत ऐसा भी है जहां हान अल्पसंख्यक हैं. झिनजियांग उइघर आटोनॉमस रीजन.

यहां हान चाइनीज उइघर मुसलमानों की तुलना में थोड़े से कम है. कुल सवा दो करोड़ की आबादी में करीब 40 फीसदी हान चाइनीज हैं जबकि 45 फीसदी से अधिक उइघर मुसलमान हैं. कह पाना मुश्किल है कि यहां चीन अपने कम्युनिस्ट सिद्धांत के कारण इस्लाम को कुचलता है या फिर हान समुदाय के अल्पसंख्यक होने के कारण. कारण जो भी हो लेकिन उइघर मुसलमानों को जीने का वह धार्मिक अधिकार नहीं मिला हुआ है जिसकी वकालत करते हुए अभी अभी अमेरिका ने एक रिपोर्ट जारी की है.

उइघर मुसलमान तुर्की जबान और अरबी लिपी वाले मुसलमान हैं. चीन में इन्हें काशगरी मुसलमान भी कहा जाता है जो संभवत: झिनजियांग के काशी शहर (काशघर) से जुड़ी इनकी पहचान के कारण है. (चीन में काशी को काशघर या काशी शहर नाम से जाना जाता है.) लेकिन चीन में काशी शहर के ये मुसलमान धर्म के मामले में उस तरह से स्वतंत्र नहीं हैं जैसे भारत में काशी शहर के मुसलमान. यहां इनके धर्म पर कम्युनिस्ट चीन की कड़ी पाबंदी है. चीन में इन्हें रमजान के महीने में रोजा रखने तक की इजाजत नहीं है. टोपी पहनने या दाढ़ी रखने पर भी पाबंदी की खबरें आती रहती हैं.

चीन इनके खिलाफ इसलिए सख्त है क्योंकि उसे डर है कि उइघर मुसलमान झिनजियांग को चीन से अलग कर सकते हैं. उइघर मुसलमानों का प्रतिबंधित संगठन ईस्ट तुर्की इस्लामिक मूवमेन्ट की गतिविधियों के कारण उईघर मुसलमानों पर दमनात्मक कार्रवाई होती रहती है. चीन के लिए ईस्ट तुर्की इस्लामिक मूवमेन्ट उसी तरह से डरावना मुस्लिम संगठन है जैसे भारत के लिए लश्कर-ए-तैयबा या फिर सिमी.

उईघर मुसलमान चीन के कम्युनिस्ट सरकार से परेशान तो हैं ही लेकिन उससे ज्यादा पाकिस्तान के उस दोगलेपन से हैरान हैं जो इस्लाम के नाम पर दक्षिण एशिया में अपना महत्व बताता है. उईघर मुसलमानों की एक छोटी आबादी पाकिस्तान में भी रहती है. पाकिस्तान में ज्यादातर उइघर मुसलमान छोटे मोटे काम धंधे से अपनी जिन्दगी चलाते हैं. कुछ वैसे ही जैसे निर्वासित तिब्बती भारत में. लेकिन पाकिस्तान में उइघर मुसलमानों का वैसा संरक्षण नहीं है जैसे भारत में तिब्बती शरणार्थियों का. इस्लाम के नाम पर भी नहीं.

चीन में दमन के खिलाफ उइघर मुसलमान एक भी आवाज उठाते हैं तो उन्हें पकड़कर चीन के हवाले कर दिया जाता है. अब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चीन को सूचित किया है कि पाकिस्तान ने उन सभी चरमपंथियों का खात्मा कर दिया है जो पाकिस्तान के वजीरिस्तान इलाके में रहकर ईस्ट तुर्की इस्लामिक मूवमेन्ट चला रहे थे. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री इन दिनों चीन के दौरे पर हैं.

जाहिर है यह पाकिस्तान का दोगलापन है. एक तरफ तो वह इस्लाम के नाम पर भारत में सक्रिय आतंकी जमातों को अनाधिकारिक समर्थन देता है तो दूसरी तरफ उइघर मुसलमानों  पर चीन के दमन में चीन की आधिकारिक मदद करता है. निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए इस्लाम धर्म नहीं बल्कि राजनीति और कूटनीति है जिसका वह अपने फायदे के लिहाज से इस्तेमाल करता है.

चीन और पाकिस्तान की इन्हीं दोगली नीतियों का नतीजा है कि उइघर मुसलमान अपने ही घर में बेघर हैं.

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