2016-17 बारहवें रक्षा पंचवर्षीय योजना का आखिरी वित्तीय वर्ष होगा जिसमें एक लाख चार हजार करोड़ रूपये सिर्फ खरीदारी पर खर्च किये जाएंगे। इस खर्च में थल सेना के लिए 23731 करोड़, नौसेना के लिए 28932 करोड़ और वायुसेना के लिए 38092 करोड़ रूपये का सैन्य साजो सामान की खरीदारी शामिल है। साफ है सबसे ज्यादा पैसा वायुसेना पर खरीदारी के लिए खर्च किया जा रहा है। और यह सिर्फ एक वित्तीय वर्ष या एक पंचवर्षीय योजना की बात नहीं है। तेरहवीं और चौदहवीं पंचवर्षीय योजना में भी आनेवाले दस सालों में सबसे ज्यादा नेवी और एयरफोर्स पर ही खर्च किया जाना है। Wednesday, February 24, 2016
डिफेन्स दलालों के दलदल में तेजस
2016-17 बारहवें रक्षा पंचवर्षीय योजना का आखिरी वित्तीय वर्ष होगा जिसमें एक लाख चार हजार करोड़ रूपये सिर्फ खरीदारी पर खर्च किये जाएंगे। इस खर्च में थल सेना के लिए 23731 करोड़, नौसेना के लिए 28932 करोड़ और वायुसेना के लिए 38092 करोड़ रूपये का सैन्य साजो सामान की खरीदारी शामिल है। साफ है सबसे ज्यादा पैसा वायुसेना पर खरीदारी के लिए खर्च किया जा रहा है। और यह सिर्फ एक वित्तीय वर्ष या एक पंचवर्षीय योजना की बात नहीं है। तेरहवीं और चौदहवीं पंचवर्षीय योजना में भी आनेवाले दस सालों में सबसे ज्यादा नेवी और एयरफोर्स पर ही खर्च किया जाना है। Tuesday, February 23, 2016
आर्टीफिसिएल इन्टेलिजेन्स का उभरता खतरा
गूगल की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है आर्टीफिसिएल इन्टेलिजेन्स प्रोजेक्ट। वर्चुअल टेक्नॉलाजी हमें जहां ले जा रही है उसका भविष्य। गूगल अब जिस अल्फाबेट कंपनी का हिस्सा है उसका एक हिस्सा बोस्टन डायनमिक्स है। बोस्टन डॉयनामिक्स ऐसे मशीन तैयार कर रहा है जिसमें इंसानों की तरह सोचने समझने और निर्णय लेने की काबिलियत पैदा की जा सके। कुछ कुछ वैसा ही जैसा हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखता है। वह स्काईनेट जो आर्नाल्ड की फिल्मों में कल्पना था उसे हकीकत बनाने पर काम चल रहा है। Monday, February 22, 2016
होम क्रेडिट फाइनेन्स का फ्रॉड
जिस वक्त बाइक फाइनेन्स कराने होन्डा के शोरूम पर पहुंचे तो वहां पहले से घात लगाये बैठे होम क्रेडिट फाइनेन्स का बंदा टूट पड़ा। बहुत कम कागजात में कुछ ही घण्टों के अंदर उसने करीब पैंतीस हजार रुपये का लोन पास कर दिया। फार्मेलिटी के नाम पर उसने यह जरूर किया कि आपसे तीन ऐसे लोगों के नाम और नंबर ले लिए जो आपके करीबी पहचान के हों। उनके दफ्तर से उन तीनों ही लोगों को फोन गये और मुतमईन होने के बाद कंपनी की तरफ से 55 हजार की बाइक दिला दी।
जब रिपेमेन्ट की स्कीम बताई गयी तो कहा गया कि जो व्याज लगाया गया है उसमें पांच हजार रुपये आपसे ज्यादा लिये जा रहे हैं। जब आप पूरी पेमेन्ट कर देंगे और रिपेमेन्ट में आपका रिकार्ड ठीक रहा तो यह पांच हजार रुपया आपको वापस मिल जाएगा।
सोलह महीने तक सब ठीक रहा। जो निर्धारित राशि थी वह बैंक से जाती रही। बीच बीच में होम क्रेडिट फाइनेन्स से फोन भी आते रहे कि आपका रिपेमेन्ट रिकार्ड बहुत अच्छा है। अगर आप चाहें तो हमसे एक लाख रुपये तक कैश लोन भी ले सकते हैं। लेकिन सोलहवें महीने के बाद अचानक सबकुछ बदल गया। शायद ईमानदारी से किया जा रहा रिपेमेन्ट होम क्रेडिट फाइनेन्स को अच्छा सौदा नहीं लग रहा था इसलिए सत्रहवें महीने पहला खेल हुआ।
बैंक में पर्याप्त बैलेन्स होने के बावजूद एकाउण्ट से पैसा नहीं कटा। मेरा रजिस्टर्ड नंबर बंद था लिहाजा दो तीन के अंदर तीनों ही उन संपर्क नंबरों पर दर्जनों फोन कॉल पहुंच गये जो लोन देते समय लिये गये थे। करीब एक हफ्ते बाद जब तक सूचना मिलती मेरे तीन संबंधों में एक ने यह कहते हुए रिश्ता तोड़ लिया कि रोज रोज क्रेडिट कंपनी से फोन आते हैं। जीना हराम कर दिया है। मेरे लिए यह बहुत आश्चर्य की बात थी। कोई इतनी बड़ी रकम नहीं थी कि होम क्रेडिट इतना पैनिक मचाती। महज दो हजार रूपये महीने की बात थी। अगर कोई दिक्कत हुई भी थी तो कुछ दिन इंतजार किया जा सकता था।
खैर, मैंने होम क्रेडिट के कॉल सेन्टर पर बात की तो पता चला पैसा डिडक्ट नहीं हुआ है। मैंने कहा कि मेरे एकाउण्ट में पैसा है तो फिर डिडक्ट क्यों नहीं हुआ? उन्होंने कहा, आप अपने बैंक से बात करिए। बैंक में बात की तो उन्होंने कहा, अगर आपके एकाउण्ट में बैलेंस है तो पेमेन्ट रिक्वेस्ट आने पर हम कौन होते हैं रोकनेवाले? दोबारा होम क्रेडिट को फोन करके जब यह जानने की कोशिश की कि बैंक ने आपको क्या कारण बताये हैं तो उनके एक्सक्यूटिव ने जवाब दिया कि 'मिसलेनिस' कारण है। मतलब उन्हें भी नहीं पता कि पैसा क्यों डिडक्ट नहीं हुआ। अगर एकाउण्ट बैलेन्स कम होता तो बैंक उन्हें वहीं कारण बताता और वे हमें वही कारण बता देते।
लेकिन यहां तो बैंक का कोई रोल ही नहीं था। सारा खेल तो क्रेडिट फाइनेन्स कंपनी का था। सत्रहवें और अठारहवें महीने भी यही खेल हुआ। बैंक में पैसा होने के बाद भी उन्होंने एकाउण्ट से इलेक्ट्रानिक क्लियरेन्स के जरिए डिडक्ट नहीं किया और कैश में आकर किश्त ले जाते रहे। उन्नीसवें महीने से कंपनी ने टार्चर और ह्रासमेन्ट का दूसरा खेल शुरू किया। अब किश्त की ड्यू डेट के तीन दिन पहले से दिन में दस दस फोन आने शुरू हुए रोजाना। जो सिर्फ यह जानना चाहते थे कि मेरे एकाउण्ट का बैलेन्स मेन्टेन है या नहीं। मेरे मना करने के बाद कि आप ड्यू डेट से पहले इस तरह फोन करके टार्चर नहीं कर सकते तो अगले दिन फिर होम क्रेडिट कंपनी से फोन आ गया। अगर आप एक टार्चर से बचना चाहते थे तो उन्होंने पूरे सिस्टम को आपके खिलाफ टार्चर करने के काम में लगा दिया।
अब सवाल यह है कि अगर लोन लेनेवाला व्यक्ति बहुत ईमानदारी से अपनी किश्त भर रहा है तो फिर कंपनी यह फ्रॉड क्यों कर रही थी? कारण है वही पांच हजार रूपये जो आपसे लोन देते वक्त ज्यादा व्याज के नाम पर ज्यादा वसूल लिये गये थे। अगर आप ईमानदारी से अपना लोन भर रहे हैं तो कंपनी को वह पांच हजार रुपये अवधि समाप्त होने के बाद वापस करने पड़ते। लिहाजा उन्होंने प्लानिंग करके आपका केस खराब कर दिया। अब क्योंकि आपका केस कंपनी के रिकार्ड में खराब हो चुका है इसलिए उस पांच हजार पर आप दावा नहीं कर सकते। और न कंपनी आपको वह पैसा देगी।
यह किसी एक व्यक्ति का मसला नहीं है। यह एक प्रकार की संगठित लूट है जो होम क्रेडिट फाइनेन्स अपने ग्राहकों को लूटने के लिए इस्तेमाल करती है। ज्यादातर कन्ज्यूमर आइटम पर फाइनेन्स देनेवाली कंपनी अगर महज पैंतीस हजार रूपये देकर पांच हजार रूपये व्याज के अतिरिक्त वसूल लेती है तो कल्पना करिए हर साल उसका लूट का यह मुनाफा कितने सौ करोड़ का बनता होगा? सरकार को चाहिए कि तत्काल होम क्रेडिट इंडिया के स्कीम की जांच करवाये और उसकी ठगी और लूट पर रोक लगाये नहीं तो हर रोज हजारों लोग होम क्रेडिट इंडिया कंपनी के जाल में फंस रहे हैं और लुट पिटकर बर्बाद हो रहे हैं।
Saturday, February 20, 2016
तोप की खरीदारी और ईमानदारी का तमाशा
बात 1986 की है जब भारत की राजीव गांधी सरकार ने स्वीडेन की बोफोर्स कंपनी के साथ 410 बोफोर्स होवित्जर तोप खरीदने का फैसला किया। सौदे के कुछ समय बाद ही स्वीडिश रेडियो ने खबर दी कि बोफोर्स तोप सौदे में कंपनी ने भारतीय हुक्मरानों को दलाली दिया है। तोप का सौदा हो चुका था और तोप भारत लायी भी गयी लेकिन आते आते अपने साथ राजीव गांधी सरकार को भी ले गयी। जाट और जेट दोनों लूट रहे हैं
आंदोलन के नाम पर जाट दंगा और लूटपाट कर रहे हैं। दुकानें, मॉल, घर जहां मौका मिल रहा है लूट रहे हैं। गाड़ियां जला रहे हैं। ट्रेनों को रोक दिया है और दिल्ली को मिलनेवाले पानी की सप्लाई भी बंद कर दी है। हरियाणा में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। सेना भी अब तक इन दंगाइयों को रोक पाने में असफल साबित हुई है।
इस बीच बहुत सारे लोग दिल्ली से चंडीगढ़ के बीच फंसे हुए हैं। सड़क और रेल परिवहन बंद है। जाएं भी तो कैसे आये जाएं? तीन सौ किलोमीटर की छोटी सी दूरी पाटने का एक ही जरिया बचता है कि फ्लाइट ले लें। वैसे तो दिल्ली चंडीगढ़ के बीच कोई बहुत हवाई सेवा का जोर नहीं है इस लिए जाटों के साथ मिलकर लूटने में जेट एयरवेज भी शामिल हो गया है।
डायरेक्ट फ्लाइट न होने के कारण जेट एयर वाया वाया चंडीगढ़ पहुंचा रहा है। मसलन दिल्ली से चंडीगढ़ जाना हो तो पहले वह आपको बंबई ले जाएगा फिर वहां से जो चंडीगढ़ की फ्लाइट होगी उसमें बिठा देगा तो आप चंडीगढ़ पहुंच जाएंगे। और इस 'सेवा' के लिए यात्री से ज्यादा नहीं सिर्फ दस गुना किराया वसूल किया जा रहा है। जिस दिल्ली चंडीगढ़ और दिल्ली के बीच तीन हजार रुपये का किराया है उसके लिए जेट एयरवेज तीस हजार से एक लाख रूपये तक वसूल रहा है।
Saturday, February 13, 2016
अभिव्यक्ति की आजादी से भारत की बर्बादी तक
दो साल में यह तीसरा ऐसा मौका है जह "अभिव्यक्ति की आजादी" की सुरक्षा की जा रही है। पहले दादरी में। फिर हैदराबाद में और अब जेएनयू में। तीसरी आजादी की ये तीनों ही शुरुआत सोशल मीडिया से हुई फिर मुख्यधारा की मीडिया के जरिए जनता तक पहुंच गयी। अच्छा है। लोकतंत्र के लिए बहुत ही अच्छा कि अब विपक्ष की शून्यता के दौर में 'जनता' विपक्ष बन गयी है। Popular Posts of the week
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