Friday, October 11, 2013

लीलाधरों की लीला का लंकादहन

लालकिला मैदान में बगल से जानेवाले रास्ते को रोक दिया गया है। पुलिसवाले किसी भी गाड़ी को अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। वीवीआईपी पास होने के बाद भी। पुलिसवालों का कहना है कि आज बहुत भीड़ हो गई है। कल तक जो पार्किंग सौ गाड़ियों के लिए तरसती थी, आज वहां हजार से ज्यादा गाड़िया ठसाठस भरी हुई है। पुलिसवाले भी हैरान थे कि न जाने कहां से और क्यों आज इतने लोग आ गये। काफी देर बाहर ही रोकने के बाद आखिरकार उसने इस शर्त पर अंदर जाने की बात कही कि एक बार हेमा मालिनी को चले जाने दीजिए, रश कम हो जाएगा। उसके बाद जाने देंगे। लेकिन वह नौबत नहीं आई। हेमा मालिनी के बाहर गये बिना ही उसने जिन कुछ गाड़ियों को अंदर जाने दिया उसमें हम रामभक्त भी शामिल थे।

कुछ लाल पीली बत्ती गाड़ियां आ जा रही थीं लेकिन लालकिले पर सजनेवाली दिल्ली की प्रसिद्ध लवकुश रामलीला कमेटी का लंका दहन हो चुका था, फिर भी लीला जारी थी। मंच पर हेमा मालिनी अभी भी मौजूद थीं। उनके आस पास लीलाधर लोगों की भीड़ लगी हुई थी। अग्रवाल जी, शर्मा जी, गुप्ता जी, जैन साहब सभी लीलाधर मौका मिलने पर बारी बारी से हेमा मालिनी को लीला का महत्व समझा रहे थे और लंका दहन के बाद का आइटम सांग भी देख रहे थे। नव सभ्यता में जो नाच रहे थे उन्हें डीजे कहा जा सकता है। एक ही सुर में कई सुरूर। जिसमें चेन्नई एक्सप्रेस का लुंगी डांस भी शामिल था और गणपति उत्सव का बप्पा मोरया भी। पलक झपकते धुन बदल रही थी लेकिन नाचनेवाले लड़के और लड़कियां न जाने लंका दहन की खुशी में या फिर हेमा मालिनी की मौजूदगी की वजह से, उत्साह में दोहरे हुए जा रहे थे। ज्यादातर मोबाइल कैमरे इस अभूतपूर्व क्षण को अपने कैमरे में कैद कर रहे थे और जनता खचाखच खड़ी होकर लंकादहन के इस देहदर्शना उत्सव का भरपूर आनंद ले रही थी।

हम ज्यादा देर तक इस लुंगी डांस में शरीक नहीं रह सकते थे और न ही अग्रवाल जी, गुप्ता जी या जैन साहब की तरह हेमा मालिनी को निहार सकते थे क्योंकि अभी भी बगल की समानधर्मी नवधार्मिक लीला कमेटी का लंका दहन होना बाकी था। दिल्ली में अकेले लालकिला परिसर में तीन रामलीला होती है। परेडग्राउण्ड की धार्मिक लीला कमेटी। लाल किले की नवधार्मिक और लवकुश रामलीला कमेटी। एक ही परिसर में तीन तीन रामलीला राम जी की भक्ति है या फिर आपस की तनातनी इसे समझने के लिए आपसी झगड़ों की गहरी खाईं को लांघना पड़ेगा लेकिन तीनों ही लीला बहुत धार्मिक भाव से एक सप्ताह तक राम की लीला का मंचन करती हैं। इन तीनों लीला कमेटियों में नवधार्मिक लीला कमेटी की रामलीला सबसे कमजोर इसलिए जाती है क्योंकि वे लोग अभी तक न तो डीजे डांस तक पहुंच पाये हैं और न ही दशहरे के दिन प्रधानमंत्री उनके रावण को जलाने के लिए आते हैं। शायद लवकुश लीला कमेटी के हेमामालिनी का दबाव था या फिर कारण कुछ और। उन्होंने लवकुश लीला के लंकादहन का इंतजार किया। अब उनकी लंका में आग लगनेवाली थी, इसलिए हम टेंट का एक दरवाजा पार करके उस तरफ हो गये।

टेंट के उस पार रावण का दरबार सजा था। हनुमान लंका में प्रवेश कर चुके थे और रावण उन्हें पकड़ने के लिए अशोक वाटिका में अपने रणबाकुरों को भेज रहा था। अक्षय कुमार के निधन की सूचना के बाद मेघनाथ को भेजा गया। मेघनाथ हनुमान को पकड़कर दरबार में ले आते हैं। अब रावण और हनुमान में कुछ संवाद हो रहा है। संवाद अदायगी अच्छी है और सबकुछ डब किया हुआ है इसलिए संवाद में कहीं कोई त्रुणि या दोष नहीं है। लेकिन सामने बैठी और खड़ी जनता रामलीला मंच की बजाय उस सोने की लंका की तरफ टकटकी लगाये देख रही है जहां अब थोड़ी ही देर में लंका दहन होनेवाला है। क्योंकि घासफूस और चमकदार पन्नियों के समायोजन से सोने की वह लंका बिल्कुल मंच के सामने बनाई गई है इसलिए लोग मंच की तरफ देखने की बजाय लंका की तरफ ही देख रहे हैं। छुटपुट आतिशबाजी उनको निराश भी नहीं कर रही है। इसलिए रावण हनुमान संवाद को लेकर दर्शकगण बिल्कुल भी चिंतित नहीं है, उनकी चिंता सिर्फ लंका दहन को लेकर है। इस चिंता को दूर करने के लिए धर्मपारायण लाला जी बच्चों को पुरानी दिल्ली की मशहूर चाट खिलाकर शांत रखे हुए हैं। वैसे भी लीलाओं के लिए बंटे पास में विशेष रूप से इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर आप लीला देखने आते हैं तो पुरानी दिल्ली की मशहूर चाट का स्वाद चखने का मौका मिलेगा।

आखिरकार वह समय आ ही गया जब रावण ने हनुमान की पूछ में आग लगाने का हुक्म दे दिया। अपने एक हाथ में पूछ रूपी मशाल थामे हनुमान मंच से नीचे उतर आते हैं और कुछ सहयोगियों के साथ पुआल, चमकीली पन्नियों से बनाई उस सोने की लंका की तरफ आगे बढ़ते हैं जिसमें आग लगाने के बाद उसमें रखे पटाखे फोड़ने का पावन कर्म करेंगे और दर्शकगण का इंतजार खत्म करेंगे। अब वीवीआईपी दर्शकदीर्घा में खड़ी, बैठी कुछ महिलाओं को याद आता है कि रामायण में हनुमान भी होता है जो लंका में आग लगाता है, तो सहसा उनके मुंह से निकलता है, इस बार हनुमान तो बहुत मोटा है। हनुमान ऐसी टिप्पणियों से बिना प्रभावित हुए लंका में आग लगाने आगे बढ़ जाते हैं और फाइनली उस लंका तक पहुंच ही जाते हैं जिसका दहन देखने के लिए आज इतनी भीड़ भरभराकर दौड़ी चली आई है।

घासफूस से बनी उस स्वर्णलंका में मशाल घुसाते ही पटाखों की तेज आवाज से पूरा वातावरण पटाखामय हो जाता है। हर हाथ अगल बगल से भागकर कानों को अपनी सुरक्षा के घेरे में ले लेते हैं। इधर जब तक लंकादहन जारी है, उधर हनुमान अपने साथियों संग फिर से मंच की तरफ अग्रसर हो जाते हैं। लोग लंकादन में डूब जाते हैं और हनुमान मंच पर पहुंचकर बाकी लीला को पूरा करने में व्यस्त हो जाते हैं। लंका दहन के बाद उन्हें राम नाम का कीर्तन करना है। वे कर भी रहे हैं, जो रामधुन बज रही है, वह सचमुच बहुत चित्ताकर्षक है। लेकिन किसी को हनुमान के राम नाम में कोई खास इंटरेस्ट नहीं है। वैसे भी 'मोटा हनुमान' डांस में उस डीजे डांस की बराबरी भी तो नहीं कर सकता जो लवकुश वाले करवाते हैं।

लीलाधरों की लीला का इससे अच्छा लंकादहन और क्या हो सकता है?

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