Friday, August 26, 2016

आफत में हिन्दुस्तानी मुसलमान

अल्ताफ हुसैन के पिता इंडियन रेलवे में नौकरी करते थे। जब जिन्ना ने पाकिस्तान जिन्दाबाद का नारा दिया तब अल्ताफ हुसैन के पिता नाजिर हुसैन ने भी जिन्ना की आवाज से आवाज मिलाया और पाकिस्तान बनते ही आगरा से कराची चले गये। अल्ताफ हुसैन का जन्म पांच साल बाद कराची में ही हुआ लेकिन उन्होंने अपने पिता की तरह कभी पाकिस्तान जिन्दाबाद नहीं कहा। पाकिस्तान के हालात कभी भी हिन्दुस्तानी मुसलमानों के लिए ऐसे रहे ही नहीं कि वे पाकिस्तान जिन्दाबाद कह पाते। वे मोहाजिर (शरणार्थी) होकर गये थे और मोहाजिर ही रह गये। आज सत्तर साल बाद अल्ताफ हुसैन की एक तकरीर से पूरे पाकिस्तान में उबाल आया हुआ है। अपने पिता के उलट उन्होंने पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा दिया है।

अल्ताफ हुसैन वो शख्सियत हैं जिन्होंने शरणार्थी मुसलमानों के हक और हुकूक के लिए मोहाजिर कौमी मूवमेन्ट की शुरूआत की। जाहिर है यह काम पाकिस्तान को पसंद नहीं आया लिहाजा अल्ताफ हुसैन को भागकर लंदन में शरण लेनी पड़ी। मोहाजिर कौमी मूवमेन्ट जिसका नाम बदलकर अब मुत्तहिदा कौमी मूवमेन्ट हो गया है उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं को लंदन से संबोधित करते हुए अल्ताफ हुसैन ने कुछ ऐसा नहीं कहा जो आज पाकिस्तान के बारे में दुनिया नहीं कह रही है। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान दुनिया के लिए आतंकवाद का केन्द्र बन गया है। उन्होंने कहा कि हम इस पाकिस्तान को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके टुकड़े टुकड़े कर देंगे। जो चालीस लाशें हमारे भाइयों की कब्र में दफन हैं उसका बदला लेंगे। उन्होंने अपने भाषण में न सिर्फ पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाया बल्कि यह भी कहा कि हमारे पुरखों ने पाकिस्तान बनाकर गलती की है।

अल्ताफ हुसैन ने यह भाषण निजी मीटिंग में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही थी लेकिन भाषण का कुछ हिस्सा किसी ने रिकार्ड कर लिया और उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया। देखते ही देखते यह लीक पाकिस्तान में आग की तरह फैल गया और पूरे पाकिस्तानी मीडिया में इसकी जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई। तत्काल मोहाजिर कौमी मूवमेन्ट का कार्यालय नाइन जीरो सील कर दिया गया और पाकिस्तानी रेन्जर्स ने कार्रवाई शुरू कर दी। आनन फानन में एमक्यूएम के नंबर दो नेता फारुख सत्तार ने प्रेस कांफ्रेस की और सुलह सफाई दी लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान तो हमेशा इसी ताक में रहते हैं कि कब कोई मौका मिले और वे हिन्दुस्तानी मुसलमानों की घेरेबंदी कर दें। इस बार क्योंकि मामला पाकिस्तान मुर्दाबाद और उसके टुकड़े करने से जुड़ा था इसलिए गुस्सा और दुखड़ा भी ज्यादा जमकर रोया जा रहा है। इस बार ऐसी कार्रवाई की जा रही है कि पाकिस्तान से एमक्यूएम का नामो निशान मिट जाए।  लेकिन सवाल यह उठता है कि अल्ताफ हुसैन ने ऐसा क्यों कहा?

यह बात सही है कि भारत से जाने वाले मुसलमान पाकिस्तान के लिए सांस्कृतिक समस्या बन गये। कराची के आसपास ज्यादातर हिन्दुस्तानी मुसलमानों को बसाया गया था लेकिन उन्हें वह न हासिल हो सका जिसके लिए वे देश छोड़कर पाकिस्तान गये थे। शुरूआती टकराव सिन्धियों से हुआ लेकिन बाद में पंजाबी मुसलमानों से आमना सामना हो गया। पाकिस्तान सत्तर सालों में पंजाबी पाकिस्तान में तब्दील हो चुका है और भले ही कहने के लिए उर्दू पाकिस्तान की सरकारी भाषा है लेकिन उर्दू बोलनेवालों को आज तक पाकिस्तानी होने का दर्जा नहीं मिला। वे आज भी मोहाजिर (शरणार्थी) कहे जाते हैं। उनके साथ होनेवाले भेदभाव को खत्म करने के लिए और हिन्दुस्तानी मुसलमानों को उनका राजनीतिक हक दिलाने के लिए अल्ताफ हुसैन ने राजनीतिक हस्तक्षेप किया उसका परिणाम यह है कि सिन्ध में आज एमक्यूएम दूसरी बड़ी राजनीतिक ताकत है। राज्य से लेकर नेशनल असेम्बली तक एमक्यूएम पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बाद दूसरी बड़ी हैसियत रखती है। जिस वक्त अल्ताफ के बयान पर बवाल मचा ठीक उसी वक्त कराची में जो नया मेयर चुना गया वह एमक्यूएम का है।

जाहिर है, पंजाबी रेन्जर्स इस बार अल्ताफ हुसैन की हैसियत को मिटाने के लिए मैदान में उतरे हैं। अब तक न केवल नाइन जीरो को सील किया जा चुका है बल्कि कई सांसदों और विधायकों सहित एमक्यूएम के बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। एमक्यूएम के स्थानीय कार्यालयों पर बुल्डोजर चलाया जा रहा है। पाकिस्तान सरकार ब्रिटिश गवर्नमेन्ट में लॉबिंग कर रही है कि एमक्यूएम को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए। पाकिस्तानी रेन्जर्स और आईएसआई बीते दो साल से एमक्यूएम में तोड़फोड़ कर रही हैं। कुछ नेता पार्टी छोड़कर चले भी गये हैं। चालीस लोगों की हत्या की जा चुकी है। शायद इसी कार्रवाई का गुस्सा था कि अल्ताफ हुसैन पाकिस्तान मुर्दाबाद तक बोल गये। लेकिन उस गुस्से को समझने की बजाय पंजाबी हुक्मरानों ने एमक्यूएम को निपटाने की मुहिम शुरू कर दी। असर क्या होगा यह आज नहीं कह सकते लेकिन पाकिस्तान में इसका असर होगा जरूर यह भरोसे से कह सकते हैं।

2 comments:

  1. सटीक जानकारी। वैसे भारत के लोगों में कुछ को अभी भी पाकिस्तान अच्छा लगता है। उन्हें अल्ताफ हुसैन से मिलना चाहिए।

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