Wednesday, September 28, 2016

पाकिस्तान का इस्लामिक वॉर मॉडल

पाकिस्तान के साथ यह बड़े कमाल की बात है कि जो देश बिना लड़े हुए बन गया वह बनने के बाद से लगातार लड़ रहा है। इस लड़ाई के लिए उसने एक वॉर मॉडल विकसित किया है जिसे समझे बिना आप यह नहीं समझ सकते कि आखिर पाकिस्तान हर वक्त हिन्दुस्तान के साथ जंगी हालात में क्यों रहता है। पाकिस्तान ने हिन्दुस्तान से साथ लड़ने के लिए जो वार मॉडल डेवलप किया है उसके मूल में है इस्लाम। हर तरह के सही गलत तथ्यों का सहारा लेकर पाकिस्तान की जनता को यह समझाया गया है कि हिन्दुस्तान से जंग मोहम्मद साहब का फरमान है जिसे हमें पूरा करना है।

दुनिया में सिर्फ हिन्दुस्तान ही ऐसा मुल्क है जहां "बुतपरस्ती" बची हुई है। और जैसा कि नबी ए करीम ने फरमाया है कि "गजवा ए हिन्द" करना है तो पाकिस्तान जो जंग लड़ रहा है वह "गजवा ए हिन्द" की जंग है जो पीढ़ियों तक चलती रहेगी। जुल्फिकार अली भुट्टो ने जब कहा था कि हजार साल तक लड़ेगें तो उसके पीछे भी कठमुल्लों का यही तर्क था। जो काम जिन्ना जैसे सनकी मुसलमान भी नहीं कर पाये वह काम किया मौलाना मौदूदी जैसे धीर गंभीर इस्लामिक विद्वान ने। उन्होंने पाकिस्तान की नसों में यह जहर भरा कि वह बना ही इसलिए है क्योंकि उसे हिन्दुस्तान का विनाश करना है। देश की तो बात ही नहीं है। बात है ईमान की। वह ईमान जो हिन्दुओं के विनाश के बाद पूरी तरह कायम होगा।

इसलिए पाकिस्तान की फौज कहती है वह किसी देश की सुरक्षा नहीं कर रही बल्कि वह अल्लाह के लिए जिहाद पर है। इस काम को अंजाम देने के लिए मुल्ले मौलवियों, फौजियों और कट्टरपंथियों का एक गठजोड़ बना हुआ है जिसे आप पाकिस्तान का कठमुल्ला एलांयस कह सकते हैं। इस कठमुल्ला एलायंस के समर्थक हिन्दोस्तान में भी हैं जो चुपचाप ऐसी जंगों का समर्थन करते हैं क्योंकि नबी ए करीम के काम के आड़े आनेवाले वे होते कौन हैं? जब हिन्दोस्तान से मुशरिक (मूर्तिपूजक) मिटा दिये जाएंगे तो अल्लाह का काम पूरा हो जाएगा।

इसलिए पाकिस्तान में बड़ी आसानी से हिन्दोस्तान से लड़नेवाले मुजाहिद मिल जाते हैं। मुल्ला मौलवी इन मुजाहिदों का ब्रेनवाश करते हैं और मिलिट्री ट्रेनिंग देकर सीमापार करा देती है। इसके बाद जब वे अपना काम अंजाम दे चुके होते हैं तो प्रशासन से लेकर टीवी स्टूडियो में बैठे लोग सभी उसका बचाव करते हैं। यह मूर्तिपूजक हिन्दुओं और हिन्दोस्तान के खिलाफ पूरा एक वॉर मॉडल है जिसमें सब अपनी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। समझ में आये तो ठीक। समझ में न आये तो भी ठीक।

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