इधर भारत में मोहर्रम के दिन मातम चौदह सौ साल पुराना ही रहा लेकिन उधर पाकिस्तान के जकोबाबाद में एक शिया मस्जिद पर एक आत्मघाती हमलावर ने 22 काफिरों को दोजख भेजने के बाद खुद जन्नत चला गया. मोहर्रम का मातम मौत के मातम में तब्दील हो गया.
सिंध सरकार हरकत में आती इससे पहले ही पंजाब का आतंकी संगठन लश्कर-ए-झांगवी हरकत में आ गया और उसने कहा "धर्म" का यह काम उसने किया है. लेकिन थोड़ी ही देर बाद सिंध सरकार हरकत में आयी तो उसने लश्कर से बड़ा धमाका किया. सिंध के होम मिनिस्टर ने दावा किया कि हमला रॉ की साजिश है.
होम मिनिस्टर साहब की कोशिश गलत नहीं है. पाकिस्तान में अमूमन हर आतंकी हमला रॉ की साजिश ही करार दिया जाता है. फेडरल गवर्नमेन्ट जब सिन्ध में किसी जेबकतरे को पकड़ती है तो उसे भी रॉ का एजंट बता देती है. पाकिस्तान के शिया, अहमदिया और मोहाजिर मुसलमान तो घोषित तौर काफिर और इंडिया के एजंट होते ही हैं. लेकिन इस बार मजेदार यह है कि सिंध के होम मिनिस्टर जिस लश्कर-ए-झांगवी के हमले को रॉ की करतूत बता रहे हैं वह नवाज शरीफ का चुनाव में समर्थन कर चुका है.
पंजाब का यह सुन्नी आतंकवादी संगठन सिन्ध और शिया मुसलमानों पर आतंकी हमलों के लिए बदनाम है. पंजाब के दूसरे आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी के बीच खुद को बड़ा साबित करने की होड़ चलती रहती है. झांगवी के अमीर मलिक इशाक की हत्या के बाद झांगवी अपने वजूद की जंग लड़ रहा है. इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि आनेवाले दिनों में वह शिया और अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ हमले तेज करेगा ताकि लश्कर-ए-तैयबा पर लीड ले सके।
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