Wednesday, October 28, 2015

अपने ही उसूलों के विरोधाभाषों में फंसा इस्लाम

राशिद अहमद गंगोई और मुहम्मद कासिम ननोत्वी। दोनों की पैदाइश उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई। 1857 की असफल क्रांति के बाद दोनों इस्लाम में पुनर्जागरण के लिए प्रयासरत थे इसलिए देओबंद में दारुल उलूम की स्थापना की। सुन्नत और शरीया के आधार पर ब्रिटिश हुक्मरानों के खिलाफ मुसलमानों को एक करने का बीड़ा उठाया। सुन्नी इस्लाम के चार स्कूलों में दारुल उलूम ने हनफी स्कूल को अपना रास्ता बनाया।

आला हजरत अहमद रजा खान बरेलवी। जन्म: बरेली। मूल रूप से अफगानिस्तान के दुर्रानी पख्तून परिवार में पैदा होनेवाले अहमद रजा खान ने देओबंदी मुस्लिम मूवमेन्ट की खिलाफत करते हुए बरेलवी मुस्लिम मूवमेन्ट की शुरूआत की। आला हजरत ने जिस मुस्लिम मूवमेन्ट की शुरूआत की वह भी सुन्नी इस्लाम के हनफी स्कूल के तहत ही था लेकिन देओबंदी और बरेलवी में एक फर्क था। देओबंदी सऊदी अरब के बहावी मूवमेन्ट को अपना आदर्श मानता है जबकि बरेलवी की धार्मिक शिक्षाओं में सूफीज्म का जोर है और वे सऊदी अरब की तरफ ताकने की बजाय अपनी शिक्षाओं में स्थानीय समाज और परिवेश को महत्व देते हैं।

साल 1947। देश बंटा। दक्षिण एशिया में सुन्नी इस्लाम के दोनों बड़े मदारिस भारत में रह गये। आजादी से पहले का मिश्रित सभ्यता वाला पाकिस्तान आजादी के बाद सुन्नी पाकिस्तान हो गया। शासन, प्रसाशन और सेना में सिन्ध के शिया धीरे धीरे कमजोर पड़ते गये औप पंजाबी सुन्नी हावी होते गये। सुन्नी इस्लाम के हनफी स्कूल के दो विचारधाराओं देओबंदी और बरेलवी में आज पाकिस्तान में बरेलवी मुसलमानों की तादात सबसे ज्यादा है। पाकिस्तान की की करीब आधा आबादी बरेलवी है। 20 प्रतिशत के करीब देओबंदी हैं 18 फीसद शिया हैं और 4 फीसद अहले हदीस।

लेकिन पाकिस्तान की जमीनी हकीकत यह है कि सुन्नी मुसलमानों में देओबंदियों का सबसे ज्यादा जोर है। बहुसंख्यक होने के बावजूद बरेलवी पाकिस्तान में वह असर नहीं रखते जो देओबंदी रखते हैं। देओबंदियों का भी दो धड़ा है जिसमें से एक के मुखिया हैं मौलाना फजलुर्रहमान है। जबकि दूसरे धड़े के मुखिया हैं मौलाना शमीउल हक। मौलाना शमी उल हक पाकिस्तान के सबसे बड़े देओबंदी मदरसे दारुल उलूम हक्कानिया के हेड हैं। उन्हें पाकिस्तान में फादर आफ तालिबान भी कहा जाता है। पाकिस्तान का सबसे ताकतवर मदरसा और तालिबान का दीनी कारखाना देओबंद हक्कानिया दारुल उलूम देओबंद की शिक्षाओं पर चलता है। भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी हाफिज सईद पाकिस्तान में उस देओबंदी इस्लाम का सबसे बड़ा पैरोकार है जिसके चीफ शमीउल हक हैं।

हालांकि दारुल उलूम की शुरुआत ब्रिटिश हुक्मरानों के खिलाफ मुसलमानों को गोलबंद करने के लिए की गयी थी इसलिए भारत में दारुल उलूम आज भी हिन्दू मुस्लिम एकता की दुहाई देता है और बंटवारे का विरोध करता है लेकिन उसी की शिक्षाओं के आधार पर पाकिस्तान में बने मदरसे हिन्दुओं और भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन घोषित करते हैं। देओबंदी मुसलमानों के विरोध में जो बरेलवी मुवमेन्ट शुरू हुई वह पाकिस्तान में बहुसंख्यक हैं और बहावी के खिलाफ है लेकिन पाकिस्तान सरकार बहावियों को अपना माई बाप मानती हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम का इतिहास और वर्तमान ऐसे ही विरोधाभाषों से भरा पड़ा है।

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