रमज़ान, रमादान, रमाधान या रमाथान? अरबी में मूल शब्द रमाधान या रमाथान है जो कि रमिधा से लिया गया है. 'रमिधा' का मतलब जला देना. भस्म कर देने की क्रिया. वैसे ही जैसे संस्कृत में यज्ञकुण्ड में भस्म की जानेवाली सामग्री को 'समिधा' कहा जाता है.
लेकिन अरबी के इस 'रमिधा' को अंग्रेजी ने छुआ तो 'एच' गायब करके 'रमिदा' बना दिया. वैसे ही जैसे अरबी का रियाध अंग्रेजी में रियाद हो गया. इसलिए अरबी का रमधान अंग्रेजी में रमदान हो गया. खुद सऊदी अरब में अब शायद ही कोई रमाधान लिखता हो. इंगलिश कल्चर वाले सउदी समाज ने भी रमदान स्वीकार कर लिया है. हां, भारत उपमहाद्वीप (भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) में जहां फारसी भाषा स्थानीय बोलियों में घुल मिलकर उर्दू हो गई वहां अंग्रेजी के रमदान की बजाय स्थानीय शब्द इस्तेमाल होता है 'रमज़ान.'
यह बात दीगर है कि अब यहां भी कुछ लोग रमज़ान को इसलिए रमदान बनाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है यह यह शब्द सऊदी अरब से मिला है. जबकि हकीकत में यह अंग्रेजी का शब्द है.
इसी तरह अपने यहां 'रोज़ा' शब्द भी अरबी का नहीं बल्कि उर्दू की देन है. मूल अरबी में रोज़ा का कहीं कोई जिक्र नहीं है. अरबी में महीनेभर चलनेवाले इस 'व्रत' या 'तपस्या' के लिए स्वम, साम या सियाम शब्द का उल्लेख है जिसका अर्थ होता है परहेज रखना. और सियाम सिर्फ खाने पीने भर का नहीं. शरीर की जितनी इंद्रियां (आंख, नाक, कान, जिह्वा) हैं सब पर संयम रखा जाता है. यह सियाम भी संस्कृत के शब्द 'संयम' जैसा ही अर्थ प्रकट करता है. लेकिन एक बार फिर भारतीय उपमहाद्वीप में रोजा के लिए 'सियाम' या 'स्वम' शब्द को स्वीकार करने की बजाय दारी के 'रोजेह' को स्वीकार किया जो बाद में रोज़ा के रूप में प्रचलित हो गया. मलेशिया और सिंगापुर के देशों में तो रोजा को 'पुआसा' और ईद के त्यौहार को 'हरि राया पुआसा' कहा जाता है.
निश्चित तौर पर यहां कुछ लोगों के दिमाग में कुछ गंभीर सवाल उठेंगे लेकिन उन सवालों पर बहस फिर कभी. अभी तो रमजान मुबारक!
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